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नवेगांव नागझिरा- 3 दिनों से लापता बाघिन एनटी-3 मिली, कॉलर आईडी लगाकर छोड़ा संरक्षित वनक्षेत्र में

बुलंद गोंदिया। गोंदिया जिले के संरक्षित वन क्षेत्र नवेगांव नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प में शेरों के संवर्धन व स्थानांतरण अभियान के अंतर्गत दूसरे चरण में ताडोबा व्याघ्र प्रकल्प से एनटी-3 बाघिन 11 अप्रैल को छोड़ी गई थी जो 12 अप्रैल से लापता हो गई थी।
तीन दिनों से लापता बाघिन का पता 15 अप्रैल की सुबह लगने पर उसे ट्रेंगुलाइज कर फिर से संरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ गया।

गौरतलब है की गोंदिया जिले के संरक्षित वन क्षेत्र में बाघों की संख्या बढ़ाने संवर्धन व स्थानांतरण अभियान के अंतर्गत दूसरे चरण में चंद्रपुर के ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से एक बाघिन एनटी-3 को लाकर 11 अप्रैल की शाम को नवेगांव नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प के कोर क्षेत्र के कक्ष क्रमांक 95 में छोड़ा गया था।
] बाघिन को छोड़ने के पूर्व उसके गले में कॉलर आईडी लगाई गई थी लेकिन छोड़ने के पश्चात 12 अप्रैल को शेरनी का सेटेलाइट जीपीएस कॉलर का सिग्नल एक ही स्थान पर दिखाई दे रहा था जिसके चलते 13 अप्रैल को नवेगांव नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प का दल क्षेत्रीय अधिकारी कर्मचारियों द्वारा खोज अभियान चलाते हुए बाघिन की तलाश शुरू की।

जिस पर उसका सैटेलाइट जीपीएस कॉलर चालू अवस्था में संरक्षित वन क्षेत्र के कक्ष क्रमांक 95 में जमीन पर पड़ा हुआ दिखाई दिया तथा शेरनी दिखाई नहीं दी। इसके पश्चात संपूर्ण दल द्वारा तलाश अभियान शुरू किया गया जिस पर 15 अप्रैल को नागझिरा अभयारण्य में सुबह 9:30 बजे के दौरान एनटी-3 के दिखाई दिए जाने पर उसे ट्रेंगुलाइज कर फिर से सेटेलाइट जीपीएस कॉलर लगाकर उसी स्थान पर संरक्षित वन क्षेत्र के पर्यावरण में छोड़ा गया।

गत वर्ष छोड़ी बाघिन का पता नहीं

नवेगांव नागझिरा व्याघ्र प्रकल्प में शेरों के संवर्धन व स्थानांतरण अभियान के अंतर्गत गत वर्ष 20 मई को दो बाघिन नवेगांव नागझिरा संरक्षित व्याघ्रप्रकल्प में छोड़ी गई थी जिसमें से एक बाघिन एक सप्ताह तक गोंदिया जिले के तीन तहसीलों में भ्रमण करते हुए मध्य प्रदेश के जंगल की ओर चली गई।
इस दौरान उपरोक्त शेरनी द्वारा मार्ग में शिकार भी किया था लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बावजूद अब तक उसे शेरनी का पता नहीं लग पाया।

वन विभाग की लापरवाही या सफलता

शेरों के संवर्धन व स्थानांतरण अभियान के अंतर्गत जिन क्षेत्रों में शेरों की संख्या अधिक हो चुकी है वहां से कम संख्या वाले क्षेत्रों में शेरों का स्थानांतरण किया जा रहा है। इसी के अंतर्गत चंद्रपुर के ताडोबा अंधारी व्याघ्र प्रकल्प से शेरों को लाकर गोंदिया के संरक्षित वन क्षेत्र में छोड़ा जा रहा है। लेकिन उपरोक्त मामले में वन विभाग की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है पिछले वर्ष भी छोड़ी गई दो बघिनो में से एक बाघिन लापता हो गई।
तथा इस वर्ष छोड़ने के दूसरे दिन ही बाघिन के गले में लगाया गया जीपीएस कॉलर आईडी निकल गया। हालांकि 3 दिनों में वन विभाग द्वारा उपरोक्त बाघिन की तलाश कर फिर से कॉलर आईडी लगाई गई लेकिन इस महत्वपूर्ण अभियान में वन विभाग की यह लापरवाही से प्रश्न चिन्ह निर्माण हो रहा है।

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